दुनिया भर की औरतों के संघर्ष जितने एक जैसे हैं उतने ही विविध भी। विकसित कहे जाने वाले पश्चिम से लेकर पूरब तक औरतों को अपनी नाप के जूते पहनने से लेकर शिक्षा और वोट के अपने छोटे से छोटे अधिकारों के लिए लड़ना पड़ा है।
समकालीन स्त्री विमर्श की सशक्त हस्ताक्षर सुजाता ने इस किताब में इन्हीं संघर्षों को दर्ज करते हुए भविष्य की राह तलाशने की कोशिश की है।