कुछ भी सोचने के लिए कुछ भी करने के लिए स्वस्थ मन पहली शर्त है। सुखी जीवन भी तभी सम्भव है, जब मन स्वस्थ हो, कहते भी हैं : 'मन चंगा, तो कठौती में गंगा' मन को स्वस्थ रखने के भी उपाय हैं। विद्वान लेखक सत्यकाम विद्यालंकार ने इस पुस्तक में इस विषय पर विस्तार से प्रकाश डाला है। एक बहुप्रशंसित पुस्तक जिसकी हज़ारों प्रतियां बिक चुकीं हैं।